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किसानों का हिंसक प्रदर्शन ,कई गाड़ियों को किया आग के हवाले ।। राज्य सरकार की प्रदेश में 7 जिले और 3 सम्भाग बनाने की तैयारी, सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. रामलुभाया कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

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झलको जोधाणा समाचार

शिक्षक भर्ती पेपर लीक के सरगनाओं पर कार्रवाई जारी, जेडीए के निशाने पर आए भूपेंद्र सारण का आलीशान मकान; जानिए क्या है पूरा मामला ।


शिक्षक भर्ती पेपर लीक मामले के सरगनाओं पर जेडीए का एक्शन जारी है। मामले के मामले में भूपेंद्र सारण का आलीशान मकान अब जेडीए की प्रवर्तन शाखा के निशान पर आ गया है। क्या है पूरा मामला जानने के लिए देखें वंदे मातरम् न्यूज ग्रुप की ये खास रिपोर्ट

जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से हाल ही पेपर लीक मामले के मुख्य पंच भूपेन्द्र सारण, भूपेन्द्र ढाका, धर्मेन्द्र चौधरी की ओर से संचालित कोचिंग सेंटर की इमारत को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर दिया गया था। इसके बाद राजधानी में ही अजमेर रोड़ स्थित रजनी विहार और चित्रकूट स्थित नेमीसागर कॉलोनी में स्थित नौकरी का मामला खुला है। मामला खुलते ही जेपीए की प्रवर्तन शाखा में एक बार फिर कार्रवाई हुई। आज दोनों ही जगहों पर जेडीए का प्रवर्तन दस्ता की अलग-अलग टीमें पहुंचीं. इन ग्रुप ने यहां जाने वाले भवनों के उल्लंघन के लिए अतिक्रमण की जांच की। आपके सबसे पहले कथन हैं कि दोनों स्थानों पर जांच पड़ताल के बाद क्या सामने आया।

जांच पड़ताल में यह आया सामने:- 
मंगलवार रोड़ स्थित रजनी विहार में प्लॉट नंबर 67 सी पर भूतल व तीन मंजिल का आलीशान मकान बना है। 
141.55 वर्गगज का यह प्लॉट पेपर लीकेज के मुख्य दुर्घटना भूपेन्द्र सारण व उसका भाई गोपाल का है। 
प्लॉट का जेडीए लीज बबली पारीक के नाम से जारी किया गया था। 
27 नवंबर 2017 को यह प्लॉट रजिस्ट्री से भूपेंद्र सारण व उनके भाई गोपाल ने खरीदा था। 
जेडीए की साइट योजना के अनुसार प्लॉट के अनुसार आगे 15 फीट और सवा के पीछे 8 फीट से पीछे हटना चाहिए। 
लेकिन प्लॉट पर आलीशान इमारतों का पूरा सेट बैक कवर करके बना लिया गया है। 
भवनों की स्थिति के अनुसार इस परिदृश्य पर केवल 8 मीटर की ऊंचाई तक ही निर्माण किया जा सकता है। 
लेकिन यहां बिना किसी परियोजना के दूसरी और तीसरी मंजिल का निर्माण किया गया है। 
मकान के आगे फीट और पीछे की सड़क की सीमा में छज्जे का निर्माण किया गया है।

स्कीमर युवक के ड्रीम को नियम करने वाले इन लिंक्ड के कारण जुड़ी हुई रोड स्थित रजनी विहार के मालिक के निर्माण में जेडीए की टीम ने नियमों का घोर उल्लंघन पाया। इसके बाद तुरंत ही जेडीए की ओर से जेडीए एक्ट की धारा 32 व 33 के तहत नोटिस जारी किया गया। जेडीए के मुख्य आयुक्त प्रवर्तन रघुवीर सैनी के नेतृत्व में टीम ने नोटिस हाउस पर ही चस्पा कर दिया। नोटिस के माध्यम से भवन मालिक को तीन दिन में अपना अवैध निर्माण रद्द करने की सूचना देने की हिदायत दी गई। नोटिस की मियाद 12 जनवरी शाम 5 बजे पूरी तरह हो जाएगी। अवैध निर्माण को हटाने पर जेडीए कार्रवाई करेगी। इसी तरह दूसरी टीम ने नेमीसागर चित्रकूट स्थित अचल संपत्ति की जांच पड़ताल की।

मामले के दूसरे मुख्य एक्सेंस सुरेश ढाका का नेमी सागर चित्रकूट में फ्लैट है
यह फ्लैट सुरेश ढाका के पिता जिलाल के नाम से बताया जा रहा है
यह फ्लैट ग्रुप हाउसिंग योजना आशापूर्ण एम्पायर में हैं
जेडीए की प्रवर्तन टीम ने योजना के लिए कहा खंडाले। नापजोख के अनुसार
प्रथम दृष्टया भवन बताने वालों का कोई उल्लंघन नहीं पाया गया है
इस ग्रुप हाउसिंग बिल्डिंग की जांच के लिए जेडीए की प्रवर्तन शाखा जेडीए की ही स्थिति शाखा को पत्र लिखा गया है

जेपीए की शुरूआत शाखा का मुख्य फोकस मंगलवार की सड़क स्थित रजनी विहार के मकान पर है। अगर निर्माता खुद अपना बनाया हुआ नहीं हटाता है और किसी तरह का न्यायिक आदेश नहीं आता है तो 13 जनवरी को इस शानदार पर जेडीए की गाज गिरने का फैसला किया गया है।

जयपुर से खबर

टोंक में आयकर विभाग का एक्शन
विभिन्न कारोबार में सक्रिय उद्यमियों के ठिकानों पर सर्वे;
रिश्ते में भाई दो कारोबारियों निजाम एंड संस के ठिकानों पर चल रही सर्वे की कार्यवाही ।
लगभग दो सौ अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम एक्शन में शामिल । बारह दर्जन पुलिसकर्मी मौके पर मौजूद

BREAKING News

बिहार के बक्सर में मुआवजे को लेकर भारी बवाल ,किसानों का हिंसक प्रदर्शन ,कई गाड़ियों को किया आग के हवाले , पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज से भड़के किसान् ,   पुलिस ने की हवाई फायरिंग



विधायिका में न्यायपालिका को हस्तक्षेप करने का अधिकार तो सांसद और विधायकों का आचरण ही देता है। 


लोकतंत्र की आड़ में जब बिकाऊ और दागी जनप्रतिनिधि चुने जाएंगे तो विधायिका का यही हश्र होगा। 

जयपुर में विधायिका का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू। 
11 जनवरी को राजस्थान के जयपुर में लोकतंत्र के सबसे मजबूत पिलर विधायिका का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। इस मौके पर राज्यसभा के सभापति व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला के साथ साथ देश की अधिकांश विधानसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सचिव मौजूद रहे। ऐसे सम्मेलन इससे पहले भी 82 बार हो चुके हैं। इस बार भी सम्मेलन का मुख्य फोकस लोकतंत्र के तीनों पिलरों में से विधायिका को सबसे मजबूत दिखाना है। लोकसभा अध्यक्ष और विधानसभाओं के अध्यक्षों का यह पसंद नहीं है कि उनके फैसलों पर न्याय पालिका रोक लगाए या फिर कोई प्रतिकूल टिप्पणी करें। अध्यक्षों का तर्क है कि विधायिका जनता के प्रति जवाबदेह होती है और लोकतंत्र में जनता ही मालिक है। अध्यक्षों का तर्क अपनी जगह है, लेकिन सवाल उठता है कि विधायिका के कार्य क्षेत्र में न्यायपालिका यानी अदालतों को हस्तक्षेप का अधिकार कौन देता है? क्या कभी विधायिका ने अपने सांसद और विधायकों के आचरण पर विचार विमर्श किया है? विधानसभाओं में अध्यक्ष अपनी राजनीतिक विचारधारा के अनुरूप किस प्रकार निर्णय लेते हैं, यह पूरा देश देखता है। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा का सभापति बनने पर जगदीप धनखड़ कुछ भी उपदेश दें लेकिन पश्चिम बंगाल का राज्यपाल रहते हुए उनके भाषणों और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे पत्रों को अब पढ़ा जाए तो विधायिका की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। एक राज्यपाल के रूप में धनखड़ को पश्चिम बंगाल की विधायिका ने कितना अपमानित किया, यह धनखड़ ही जानते हैं। तब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी के विधायक कैसा आचरण करते थे, यह धनखड़ से ही पूछा जाना चाहिए। विधायिका अपने अधिकारों की दुहाई तो देती है, लेकिन तब चुप हो जाती है, जब महाराष्ट्र में शिवसेना के 55 में से 40 विधायक अलग दल बना कर उद्धव ठाकरे की सरकार को गिरा देते हैं। इतना ही नहीं राजस्थान में सभी 6 बसपा विधायकों को रातों रात कांग्रेस का विधायक मान लिया जाता है। 91 विधायकों के इस्तीफा के मामला तीन माह तक विधानसभा अध्यक्ष के पास लंबित रहे, तब भी विधायिका चाहती है कि न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं करे। विधायिका में कैसे कैसे जनप्रतिनिधि हैं, यह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से पूछा जाना चाहिए। गहलोत ने अपनी ही कांग्रेस पार्टी के विधायकों पर 10-10 करोड़ रुपए में बिक जाने का आरोप लगाया है। विधानसभाओं के अध्यक्ष अपने अधिकारों को लेकर उपदेश तो बहुत दे रहे हैं, लेकिन अपने विधायकों के आचरण पर चुप रहते हैं। आज विधायिका को मजबूत करने से जरूरी है कि सांसद और विधायकों का आचरण सुधारा जाए। माना तो यही जाता है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में ही सांसद और विधायक चुने जाते हैं, लेकिन हम सब देखते हैं कि चुनाव में जाति धर्म और धन बल का कितना प्रभाव होता है। जिस जाति के वोट सबसे ज्यादा होते हैं, उसी जाति का व्यक्ति सांसद विधायक बनता है। जाति धर्म के आधार पर एक ही क्षेत्र से पीढ़ी दर पीढ़ी सांसद विधायक चुने जाते रहते हैं जहां तक न्यायपालिका का सवाल है तो विधायिका जो कानून बनाती है उसी के अनुरूप फैसले होते हैं। विधायिका खुद अपने कानून तो तोड़ती है, तब न्यायपालिका हस्तक्षेप करती है। विधानसभा अध्यक्ष माने या नहीं लेकिन उनकी निष्ठा उनके राजनीतिक दल के साथ ही होती है। और जब विधानसभा अध्यक्ष खुद की पार्टी का संरक्षण करता है, तब न्यायपालिका को दखल देना ही पड़ता है। 75 साल पहले संविधान बनाने वालों ने आज के सांसद और विधायकों की कल्पना नहीं की होगी।


झलको जोधाणा । राज्य सरकार की प्रदेश में 7 जिले और 3 सम्भाग बनाने की तैयारी, सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. रामलुभाया कमेटी ने सौंपी रिपोर्ट

प्रदेश में 40 जिले और 10 सम्भाग होगें
जनवरी के अन्तिम सप्ताह में पेश होने वाले बजट में घोषणा करेगें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत।
चुनावों से पहले गहलोत का बङा दांव
प्रदेश को कोटा में तीसरी पुलिस कमिश्नरेट भी मिलेगी
।चुनावी साल में राज्य सरकार ने प्रदेश में 7 जिले और 3 सम्भाग बनाने की कवायद तेज कर दी है। नये जिलों के लिये सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. रामलुभाया की अध्यक्षता में  गठित हाईलेवल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ब्यावर, बालोतरा, भिवाङी, नीम का थाना, कुचामन सिटी, सुजानगढ और फलौदी को जिले बनाने की घोषणा करेगी। साथ ही सीकर, बाङमेर, चितौङगढ को सम्भाग मुख्यालय बनाया जायेगा। कोटा में प्रदेश की तीसरी पुलिस कमिश्नरेट बनाई जायेगी। साथ ही कोटा को विकास प्राधिकरण भी मिलेगा।

नये जिलों और तीन सम्भागों के गठन के बाद बदल जायेगी प्रदेश भौगोलिक तस्वीर 
जयपुर सम्भाग- जयपुर सम्भाग में जिला जयपुर, दौसा, अलवर के साथ नये जिले भिवाङी को शामिल किया जायेगा। 
सीकर सम्भाग- जयपुर सम्भाग से जिला सीकर, झुन्झुनू और बीकानेर सम्भाग से जिला चूरू को शामिल कर नये जिले नीम का थाना को मिलाकर शेखावाटी क्षैत्र में नये सम्भाग सीकर का गठन किया जायेगा।
बीकानेर सम्भाग- बीकानेर सम्भाग में बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ जिले यथावत रहेंगे और नये जिले सुजानगढ को शामिल किया जायेगा।
जोधपुर सम्भाग- जोधपुर सम्भाग में जिला जोधपुर और पाली यथावत रहेंगे। भौगोलिक स्थिति और समानता के कारण अजमेर सम्भाग से नागौर जिले को जोधपुर में शामिल किया जायेगा और नये जिले फलौदी को जोधपुर सम्भाग में शामिल किया जायेगा।
बाङमेर सम्भाग- जोधपुर सम्भाग से जिला बाङमेर, जैसलमेर और जालोर के साथ नये जिले बालोतरा को शामिल कर बाङमेर नया सम्भाग बनाया जायेगा।
अजमेर सम्भाग- अजमेर सम्भाग में अजमेर और टोंक जिलों के साथ नये जिले ब्यावर और कुचामन सिटी को शामिल किया जायेगा।
चितौङगढ सम्भाग- उदयपुर सम्भाग से चितौङगढ, प्रतापगढ तथा बांसवाङा जिला और अजमेर सम्भाग से भीलवाङा को मिलाकर चितौङगढ को नया सम्भाग मुख्यालय बनाया जायेगा।
उदयपुर सम्भाग- उदयपुर सम्भाग में उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमन्द जिले रहेंगे और भौगोलिक स्थिति, दूरी को देखते हुए जोधपुर सम्भाग से सिरोही जिले को उदयपुर सम्भाग में शामिल किया जायेगा।
कोटा सम्भाग- कोटा सम्भाग यथावत रहेगा। इसमें पूर्व की भांति कोटा, बून्दी, झालावाङ और बारां जिले रहेंगे। लेकिन कोटा सम्भाग में प्रदेश की तीसरी पुलिस कमिश्नरेट बनाई जायेगी। सम्भाग मुख्यालय को विकास प्राधिकरण भी मिलेगा। 
भरतपुर सम्भाग- भरतपुर सम्भाग भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर और करौली जिले के साथ यथावत रहेगा। 

राजस्थान की भौगोलिक तस्वीर
जयपुर सम्भाग- जयपुर, दौसा, अलवर, भिवाङी
सीकर सम्भाग- सीकर, झुन्झुनू, चूरू, नीम का थाना
बीकानेर सम्भाग- बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ, सुजानगढ
जोधपुर सम्भाग- जोधपुर, पाली, नागौर, फलौदी
बाङमेर सम्भाग- बाङमेर, जैसलमेर, जालौर, बालोतरा
अजमेर सम्भाग- अजमेर, टोंक, ब्यावर, कुचामन सिटी
चितौङगढ सम्भाग- चितौङगढ, प्रतापगढ, बांसवाङा, भीलवाङा
उदयपुर सम्भाग- उदयपुर, डूंगरपुर, राजसमन्द, सिरोही
कोटा सम्भाग- कोटा, बून्दी, झालावाङ, बारां
भरतपुर सम्भाग- भरतपुर, धौलपुर, सवाई माधोपुर, करौली
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