बाबा जी ने अपनी लीला फांसी लगाकर की खत्म
बिना इजाजत के रिल्स या विडियों बनाने पर आईपीसी धारा 500, धारा 356 व धारा 306 के तहत मुकदमा होने पर सजा 10 वर्ष से मृत्यूदण्ड तथा हर्जाना भी भूगतना पङ सकता हैं ।
रील्स बनाने की बीमारी, जिसने ली बुजुर्ग की जानः ट्रोल-गलत कमेंट किया तो जेल में बितानी पड़ेगी जिंदगी, जानिए क्या कहता है कानून ।
राजस्थान में रील्स बनाकर सोशल मीडिया पर फॉलोअर्स बढ़ाने की दो घटनाओं ने झकझोर कर रख दिया है। जोधपुर में ठेला खींचते हुए एक बाबा की रील वायरल कर दी गई। इसके बाद ट्रोलर्स ने उन्हें इतना परेशान कर दिया कि आहत होकर सुसाइड कर लिया।
इसी तरह जयपुर में एक युवक को रील्स बनाने की ऐसी लत लगी कि वह विदेशी महिलाओं को छूकर अश्लील कमेंट करते हुए वीडियो अपलोड करता था। इसी बीमारी ने उसे सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। मनोचिकित्सक इसको रील्स बनाने के इस आदत को FOMO (Fear Of Missing Out) कहते हैं। यह एक तरह की बीमारी है।
क्या आप जानते हैं बिना इजाजत रील बनाकर अपलोड करने की सजा क्या है? अगर रील्स बनाने से आहत होकर कोई व्यक्ति सुसाइड कर लेता है तो फांसी तक की सजा हो सकती है।
दोनों मामले सामने आने के बाद हमने मनोचिकित्सक की मदद से जाना कि सोशल मीडिया पर रील्स बनाने की ये आदत गंभीर बीमारी दे सकती है। साथ ही कानूनी विशेषज्ञों से जाना कि इस तरह से रील्स बनाकर किसी को परेशान करना किस तरह से जुर्म है। पढ़िए इस रिपोर्ट में....
सबसे पहले दोनों घटनाओं को समझते हैं, जो चर्चा में हैं...
केस-1 : फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए रील वायरल की, जोधपुर में बुजुर्ग फंदे पर झूला जोधपुर के लोहावट के रहने वाले बुजुर्ग प्रतापराम ठेले पर भंगार यानी कबाड़ इकट्ठा करने का काम करते थे। उनका एक बेटा गुजरात में काम करता है। प्रतापराम अकेला ही कबाड़ बेच कर अपना गुजारा करता था। करीब 4 महीने पहले कुछ जापानी टूरिस्ट के साथ एक यूट्यूबर शिवम ने प्रतापराम का वीडियो बनाते हुए पूछा कि क्या आपके ठेले को धक्का लगा दें। बाबा ने मना कर दिया और पूछा कि 'भंगार लेणों है कांई (कबाड़ लेना है क्या)।
यह वीडियो यूट्यूबर शिवम ने सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था। वायरल होने के बाद रील बनाने वालों की भीड़ प्रतापराम को परेशान करने लगी। लोगों के लिए यह मजाक सा बन गया था। प्रतापराम ने कई बार वीडियो बनाते लड़कों को भगाया भी। लेकिन रील्स बनाने और ट्रोल होने से आहत होकर प्रतापराम ने दो दिन पहले सुसाइड कर लिया।
लोहावट थानाधिकारी शैतानराम ने बताया कि प्रतापराम के बेटे ने पिता की मौत को लेकर मुकदमा दर्ज कराया है। पुलिस ने 4 युवकों को शांतिभंग के मामले में पकड़ा है। मामले की जांच की जा रही है। उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
केस-2 : रील्स बनाने की लत, विदेशी महिलाओं पर भद्दे-अश्लील कमेंट
जयपुर के आमेर पुलिस ने जमवारामगढ़ के रहने वाले विनोद मीणा को गिरफ्तार किया है। विनोद रील्स को पॉपुलर बनाने के लिए आमेर में घूमने आने वाली विदेशी महिला पर्यटकों के वीडियो बनाते हुए उन पर अश्लील कमेंट करता था।
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वह महिला पर्यटकों को गंदे तरीके से छूता। फिर उनकी बोली लगाता था। महिला पर्यटक उसकी बातों से अनजान थीं। एक दो शिकायतों के बाद पुलिस ने युवक को गिरफ्तार भी किया, लेकिन हिदायत देकर छोड़ दिया। युवक ने फिर से वही करना शुरू कर दिया। तब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर मुकदमा दर्ज किया है।
इजाजत के बिना रील या वीडियो वायरल किया तो जिंदगी जेल में कटेगी
सीनियर एडवोकेट एके जैन कहते हैं- आमतौर पर लोग कानून की जानकारी नहीं रखते। किसी व्यक्ति की रील उसकी इजाजत के बिना नहीं बना सकते। उसे बिना मर्जी के अपलोड करना, वायरल करना या ट्रोल करना भी गैरकानूनी है।
किसी का वीडियो एडिट करके वायरल नहीं कर सकते। अगर किसी व्यक्ति को इससे परेशानी होती है या फिर उसे वीडियो डालने के बाद सामाजिक स्तर पर नुकसान होता है। किसी भी व्यक्ति को ट्रोल करना उसका राइट ऑफ प्राइवेसी का उल्लंघन होता है।
सोशल मीडिया पर किसी का भी वीडियो उसकी मर्जी के बिना बनाकर अपलोड करना, उसे ट्रोल करना राईट ऑफ प्राइवेसी का उल्लंघन होता है।
एके जैन सीनियर एडवोकेट, जयपुर
लगाना पड़ सकता है सड़कों पर झाडू
सोशल मीडिया पर वीडियो को डालने के बाद उसके खिलाफ कुछ आपत्तिजनक टिप्पणी की जाती है या ट्रोल किया जाता है तो यह दंडनीय अपराध माना जाता है।
• आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा-500 के तहत क्रिमिनल मानहानि मानते हुए मुकदमा दर्ज करवाया जा सकता है।
• उससे मानहानि के तहत हर्जाना मांग सकता है। इसमें दो साल की सजा या फिर जुर्माना लगाया जाता है।
• इसके अलावा 1 जुलाई से लागू हो रहे भारतीय न्याय संहिता अधिनियम-2023 की धारा-356 के तहत भी दो साल की सजा का प्रावधान किया गया है।
• इसमें सामाजिक स्तर पर भी सजा का
प्रावधान किया गया है, जैसे फूल-पौधों के साथ गमले लगवाना, गलियों में साफ-सफाई करवाना, पार्कों में सफाई की भी सामाजिक स्तर पर सजा दी जा सकती है।
ट्रोलिंग से परेशान होकर सुसाइड करने पर 10 साल की सजा
*बीकानेर के सीनियर एडवोकेट अनिल सोनी बताते हैं-* ट्रोल से कोई व्यक्ति बेहद परेशान हो जाता है। अगर तनाव में आकर वह सुसाइड कर लेता है तो 306 के तहत थाने में मुकदमा दर्ज कराया जा सकता है। दोषी पाए जाने पर ट्रोलिंग करने के दोषी को कोर्ट 10 साल की सजा सुना सकता है। जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
18 साल से कम उम्र का बच्चा या मानसिक पीड़ित व्यक्ति का वीडियो वायरल करने पर कोई सुसाइड करता है तो कानून में दोषी के खिलाफ फांसी की सजा तक का प्रावधान है।
*अनिल सोनी सीनियर एडवोकेट, बीकानेर*
*नाबालिग या मानसिक पीड़ित का वीडियो वायरल किया तो मृत्युदंड !*
अनिल सोनी के मुताबिक, नाबालिग या फिर किसी मानसिक रोगी का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल करने, उसके खिलाफ गलत कमेंट्स या ट्रोल करना और भी गंभीर श्रेणी का अपराध है।
अगर आहत होकर वह सुसाइड कर लेता है तो यह आत्महत्या के लिए उकसाने की श्रेणी में आता है। ऐसे दोषी व्यक्ति के खिलाफ आईपीसी की धारा-305 और भारतीय न्याय संहिता की धारा-107 के तहत फांसी या आजीवन कारावास अथवा 10 वर्ष की जेल के साथ जुर्माने का प्रावधान है।
अप्रैल 2024 में अलवर जिले के रैणी कस्बा निवासी सिद्धार्थ ने इसलिए आत्महत्या कर ली थी कि लोग उसकी पत्नी की रील पर भद्दे कमेंट करते थे।
कोई वीडियो अपलोड करता है तो कैसे हटाएं?
कोई वीडियो अपलोड करता है तो कैसे हटाएं? लीगल एक्सपर्ट हितेश बागड़ी बताते हैं सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर गलत वीडियो और अश्लील आपत्तिजनक टिप्पणी की जाती है तो आईटी एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जाती है। हालांकि आईटी एक्ट में कुछ बदलाव कर 'नई डिजिटल मीडिया आचार संहिता नियम-2021' लागू किया गया है।
नए नियम के तहत अगर किसी का वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर डाला गया है या उसे ट्रोल किया जा रहा है तो वह पोस्ट को डिलीट करने के लिए कंपनी में शिकायत भेज सकता है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म से उसे 24 घंटे में डिलीट किया जाएगा। साथ ही 15 दिनों के अंतराल में उस अकाउंट को ब्लॉक भी किया जाएगा।
*रील्स की लत से हो सकती है FOMO नाम की बीमारी*
जयपुर के वरिष्ठ डॉ. मनोचिकित्सक सुनील शर्मा ने बताया कि सोशल मीडिया की लत से FOMO (Fear Of Missing Out) नाम की बीमारी हो सकती है। यह सोशल मीडिया का सबसे नेगेटिव असर है।
इस बीमारी में ज्यादातर लोगों को इस बात का डर लगा रहता है कि कहीं वे सोशल मीडिया से थोड़े भी दूर हुए या रील्स बनाकर नहीं डाली तो कहीं वे गुम नहीं हो जाएं।
किसी को टारगेट करते हुए सोशल मीडिया पर भद्दे कमेंट करना, ट्रोल करने से व्यक्ति डिप्रेशन में चला जाता है। कई मामलों में अवसाद में आकर गलत कदम भी उठा लेते हैं।
डॉ. सुनील शर्मा मनोचिकित्सक, जयपुर
इसलिए ऐसे लोगों को रील्स या सोशल मीडिया की ऐसी लत लग जाती है कि वो लगातार रील्स अपलोड करते रहते हैं। उन्हें लगता है कि सोशल मीडिया पर नहीं जाएंगे तो लोग हमें भूल जाएंगे।
पेन्सिलवेनिया (US) स्थित लैंकास्टर जनरल हेल्थ हॉस्पिटल की रिसर्च के मुताबिक, जब उम्मीद के अनुसार लाइक और कमेंट नहीं आते, तो निराशा बढ़ती है। व्यक्ति हताश होता है और उसे लगता है कि उसका आत्मसम्मान कम हो गया है।
लगातार मोबाइल चेक करने की आदत से ध्यान भटकता है और काम पर असर पड़ता है। फैमिली, फ्रेंड्स की जगह सोशल मीडिया पर ज्यादा टाइम बीतने लगता है। इससे एंग्जाइटी, डिप्रेशन और अकेलापन महसूस होने लगता है।
कैसे सोशल मीडिया ट्रोलिंग बन जाती है मौत का कारण?
अगर सोशल मीडिया पर किसी को ट्रोल किया जाता है या फिर उसके खिलाफ कमेंट्स किए जाते हैं तो एंग्जायटी होने लग जाती है। वह डिप्रेशन का शिकार हो सकता है।
साइबर बुलिंग या ट्रोल उसे गहरी निराशा में धकेल सकता है। यह अवसाद का कारण बन जाता है।
• सोशल मीडिया पर जब कोई भद्दा कमेंट करता है तो हम उन मैसेज को प्रॉपर फॉलो करने लग जाते हैं। इससे ज्यादा ट्रोलिंग शुरू हो जाती है।
• ट्रोल करने पर कई बार लोग जवाब देने लग जाते हैं, भद्दे कमेंट करने लगते हैं। इससे अधिक तनाव बढ़ता है।
सोशल मीडिया का कैसे करें इस्तेमाल
• स्क्रीन टाइम को लिमिट में करें। जिस चीज के लिए काम कर रहे है वहीं करें।
• सोशल मीडिया पर फीड्स आते हैं तो उस पर कंट्रोल करें।
• नेगेटिव मैसेज आने पर उसका जवाब देने से बचना चाहिए। इग्नोर करना चाहिए।
• सोशल मीडिया पर ज्यादा कोई दिक्कत आती है तो परिवार व मित्रों से बात करें।
बिना वजह ज्यादा ट्रोलिंग से हो रही है तो पुलिस की मदद ले सकते हैं।
मन में डर, सुसाइड का ख्याल आता है तो मनोचिकित्सक की सलाह ले सकते हैं।
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